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परिश्रम ही सफलता की कुंजी है

 (अनु अग्रवाल )

जो अपना जीवन श्रम को अर्पित करता है,

हर उन्नति मुट्ठी में आकर कस जाती है

जो श्रम की राहों का राही बन जाता है,

हर सिद्धि उसी के पाँवों में बंध जाती है

परिश्रम उस चुम्बक के समान है जिसके आकर्षण में सब प्रकार की सुख-समृधि स्वयमेव खिंची चली जाती है | थाली में रखा भोजन स्वयं मुँह में नही चला जाता| इसलिए त्रिकाल सत्य घोषित हुआ कि श्रमी के घर के द्वार को भूख दूर से ताकती है पर भीतर प्रवेश नही कर पाती|मानव जीवन संघर्षों के लिए है , संघर्षों के बाद उसे सफलता मिलती है | संघर्षों में घोर श्रम करना पड़ता है | जो व्यक्ति संघर्षों,श्रम से डर गया वह मनुष्य नही पशु है| मनुष्य अपने भाग्य का स्वयं विधाता है जो अपने जीवन में जितना परिश्रमी रहा जितनी अधिक से अधिक संघर्ष और कठिनाइयाँ उठा लीं अंत में उसने उतनी ही उन्नति की| विद्यार्थी जीवन किसी भी व्यक्ति के जीवन के स्वर्णिम काल होता है | भावी जीवन की नीव इसी काल में पड़ती है | परिश्रम ही इस काल की नीव को मजबूत करने का प्रथम सोपान है | एक विद्यार्थी के जीवन में परिश्रम का उतना ही महत्व है जितना खाने में नमक का | जो छात्र पढाई में परिश्रम करता है वही छात्र ही परीक्षा में पास होता है|सीढ़ी-दर-सीढ़ी माँ शारदा के मंदिर की ओर अग्रसर होता है| परिश्रमी छात्र ही समाज में विशिष्ट स्थान बना पाते हैं| अथक परिश्रम के माध्यम से कोई छात्र भीड़ से उठकर एक महान कलाकार,शिल्पी,इंजीनियर ,डॉक्टर या एक महान वैज्ञानिक बन सकता है |परिश्रम पर पूर्ण आस्था रखने वाले छात्र ही प्रतिस्पर्धाओं में विजयश्री प्राप्त करते हैं | परिश्रमी छात्र के समक्ष जब उसके परिश्रम का फल आता है तो उसे आत्मिक शान्ति प्राप्त होती है| उसका हृदय पवित्र हो जाता है | उसके संकल्पों में दिव्यता आती है | उसे सच्चे ऐश्वर्य और आत्मगौरव की प्राप्ति होती है |श्रम केवल व्यक्तिगत शक्ति ही नही , वह एक सामूहिक वरदान भी है |देश की  उन्नति का मूलमंत्र भी यही है| देश के विकास के लिए एक व्यक्ति का नही पूरे राष्ट्र का श्रम चाहिए| एक दिन का नही वर्षों का श्रम चाहिए | हमें तब तक श्रम करते रहना चाहिए जब तक हम उन्नति के शिखर पर न पहुँच जाएँ |किसी भी देश में नागरिकों की कर्म साधना और कठिन परिश्रम ही उस देश व राष्ट्र को विश्व मानचित्र पर प्रतिष्ठित करता है इसलिए उन्नति,विकास और समृद्धि के लिए यह आवश्यक है कि सभी मनुष्य परिश्रमी बने|

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